आजमगढ़ 13 दिसंबर 2010/ मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ;पीयूसीएलद्ध ने मुख्यमंत्री से तारिक कासमी और खालिद की गिरफ्तारी की जांच के लिए बने आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोार्ट तत्काल सार्वजनिक करने की मांग की। संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री मसीहुद्दीन संजरी, तारिक शफीक और विनोद यादव ने कहा कि यह दो बेनुहाओं जिन पर आतंकवाद जैसा राष्ट्द्रोही आरोप लगा है के मानवाधिकारों का सवाल है, जो सिर्फ इस जांच रिपोर्ट के न आने की वजह से जेलों में रहने के लिए अभिषप्त हैं। तो वहीं यह इससे भी जुड़ा सवाल है कि जिस यूपी एसटीएफ को विशेष अधिकार दिए गए हैं वो अपने अधिकारों का उल्लंघन कर जहां राष्ट् के आम नागरिकों को गैर कानूनी तरीके से फसा रही है तो वहीं गैर कानूनी तरीके से मानव समाज के लिए खतरनाक विस्फोटक और असलहे को किन राष्ट् विरोधी तत्वों से प्राप्त कर रही है। आज पीयूसीएल के मसीहुद्दीन संजरी, तारिक शफीक, विनोद यादव, अंशु माला सिंह, अब्दुल्ला एडवोकेट, जीतेंद्र हरि पांडे, आफताब, राजेन्द्र यादव, तबरेज अहमद ने मायावती सरकार से मांग की कि आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोर्ट तत्काल लायी जाय।
पीयूसीएल ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा कि हम आपको याद दिलाना चाहेंगे कि आजगढ़ के तारिक कासमी का 12 दिसंबर 2007 को रानी की सराय चेक पोस्ट पर कुछ असलहाधारियों ने अपहरण कर लिया, जिस पर स्थानीय स्तर पर तमाम राजनीतिक दलों और मानवाधिकार संगठनों ने धरने प्रदर्शन किए और जनपद की स्थानीय पुलिस ने तारिक को खोजने के लिए एक पुलिस टीम का गठन भी किया। तो वहीं खालिद को उसकी स्थानीय बाजार मड़ियांहूं से 16 दिसंबर 2007 की शाम चाट की दुकान से कुछ असलहाधारी टाटा सूमों सवार उठा ले गए थे, जिसके मड़ियाहूं बाजार में दर्जनों गवाह हैं। जिस पर भी काफी धरने-प्रदर्शन हुए और मांग की गई कि जल्द से जल्द उसको खोजा जाय। पर 22 दिसंबर 2007 को यूपी एसटीएफ ने दावा किया कि उसने यूपी के लखनऊ, फैजाबाद और वाराणसी कचहरी बम धमाकों के आरोपी तारिक कासमी और खालिद को उसने सुबह बाराबंकी रेलवे स्टेशन से भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थों और असलहे के साथ गिरफ्तार किया।
यूपी एसटीएफ के इस दावे के बाद हम मानवाधिकार संगठनों के लोगों का यह दावा पुख्ता हो गया कि इन दोनों को यूपी एसटीएफ ने गैर कानूनी तरीके से उठा कर अपने पास गैर कानूनी तरीके से पहले से रखे विस्फोटक पदार्थों को दिखा कर गिरफ्तार किया। जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इस घटना की जांच के लिए आरडीनिमेष जांच आयोग का गठन किया गया जिसको छह महीने के भीतर अपनी जांच प्रस्तुत करनी थी। पर आज घटना के तीन साल बीत जाने के बाद भी जांच आयोग की निष्क्रियता के चलते रिपोर्ट नहीं पेश की गई जो मानवाधिकार हनन का गंभीर मसला है। जबकि जांच आयोग को मानवाधिकार संगठनों और राजनीतिक दलों तक ने अपने पास उपलब्ध जानकारियां दी। मड़ियाहूं से गिरफ्तार खालिद की गिरफ्तारी के विषय में स्थानीय मड़ियाहूं कोतवाली तक ने सूचना अधिकार के तहत यह जानकारी दी कि खालिद को 16 दिसंबर 2007 को मड़ियाहूं से गिरफ्तार किया गया था। जो यूपी एसटीएफ के उस दावे की कि उसने उसको बाराबंकी से विस्फोटक के साथ गिरफ्तार किया था, के दावे को खारिज करता है। ऐसे में यह महत्वपूर्ण सवाल राष्ट् की सुरक्षा से भी है कि यूपी एसटीएफ के पास कहां से इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक और असलहे आए।
नई ज़मीन से जुइ़ने की हमेशा लोगों के मन में एक आशा की भावना रही है! जो हमेशा ही परिवर्तन के राह में सर्घषरत् है! आप भी आये मेरे साथ-साथ दो कदम चले!
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